Sahi uttar bataye
मित्र मोती मूल्यवान होता है तथा उसकी तुलना में धागे का कोई महत्व नहीं होता है। रैदास ने स्वयं को धागा तथा अपने आराध्य को मोती कहा है। जिस प्रकार मोती के साथ धागे के जुड़ने से माला का निर्माण होता है और धागा भी मूल्यवान हो जाता है। ठीक उसी प्रकार अपने आराध्य देव से मिलने पर भक्त का महत्व भी बढ़ जाता है।