samachar patra me prakashit mekho ka sangrah kar apne vichar vyacth kijiye. Please give 1 example so that i can do the rest ... Like how to start and all

मित्र आपका विषय स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। अतः आपकी सहायता के लिए संपादक को लिखे जाने वाले पत्र का एक उदाहरण दे रहे हैं। आशा करते हैं कि वह आपके काम आएगा-

479, -ब्लाक,

सरोजनी नगर,

नई दिल्ली।

दिनांक: .............

 

सेवा में,

संपादक महोदय,

नवभारत टाइम्स,

7, बहादुरशाह जफ़र मार्ग,

दरियागंज,

नई दिल्ली-110002

विषय:समाज व देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर ध्यान दिलाने हेतु पत्र।

महोदय,

आपका समाचार पत्र दिल्ली में सबसे लोकप्रिय है। मैं इस समाचार पत्र के द्वारा समाज व देश में बढ़ रहे महँगाई की ओर पूरे दिल्लीवासियों और सरकार का ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूँ।

दिल्ली भारत की राजधानी कहलाती है। इस महानगर में लोग अपने सपनों को साकार करने के लिए आते हैं। परंतु आज यहाँ पर लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता है; जैसे- रहने के लिए घर नहीं हैं, पीने के लिए साफ़ पानी नहीं है, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर विश्वास नहीं किया जा सकता, बिजली आती कम है और जाती ज्यादा है इसके साथ-साथ बढ़ती मंहगाई ने सबको तंग किया हुआ है। परन्तु मंहगाई इन सारी समस्याओं पर ज्यादा भारी पड़ती है। क्योंकि यदि मंहगाई बढ़ती है, तो वह इन सभी पर सीधे असर डालती है। सरकार चाहे इसका कोई भी कारण दे परन्तु आम आदमी इस मंहगाई से त्रस्त है। मंहगाई उनके जीवन को खोखला बना रही है। महंगाई हर जगह अपना मुँह फाड़े खड़ी है। आय बढ़ती कम है, उसके मुकाबले में मंहगाई कहीं अधिक बढ़ जाती है फिर वह कैसी भी क्यों न हों। खाने का सामान से लेकर कपड़े तक में मंहगाई की मार देखी जा सकती है। आम आदमी के लिए साधारण सपने भी पूरे करने जी का जंजाल बना हुआ है। इस मंहगाई का सबसे ज्यादा असर पेट्रोल की कीमतों पर भी दिखाई देने लगा है। कुछ समय से बार-बार पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। इस कारण से आम आदमी का जीवन मुश्किल हो गया है। आम आदमी के लिए आमदनी इतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रही, जितनी तेज़ी से पेट्रोल की और अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो बस या टैक्सी आदि के किरायों में अपने आप बढ़ोतरी हो जाती है। आम आदमी की आमदनी का बड़ा हिस्सा किराया देने में ही निकल जाता है। सरकार लोगों की परेशानियों को अनदेखा कर रही है। लोगों में मंहगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। मिलने वाले वेतन से खर्चा चलना कठिन हो रहा। दूध, सब्जियाँ, फल, कपड़ा तथा अन्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही है। यदि इसी तरह चलता रहा तो भारत एक दिन इस मंहगाई की भेंट चढ़ जाएगा।

अत: मेरा आपसे निवेदन है कि आप इस लेख को अपने समाचार पत्र में छापें ताकि प्रशासन इस तरफ़ कोई ठोस कदम उठाए। समाज को भी इस लेख से कुछ सीख मिले ताकि इस समस्या का समाधान हो सकें।

धन्यवाद,

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