" samajik jeevan me krodh ki zarurat brabr padti h . yadi krodh na ho to manyush dusre k duara pahuchaye jane wale bohut se kashto ki chir-nirvati ka upay hi na kr ske. "

aacharya ramchandra shukl ji ke is kathan k paksh me apna mat prakt kijiye. plzz answer fast as possible.....

मनुष्य का क्रोध विरोध स्वरूप ही फूटता है। कई बार लोगों द्वारा जाने-अनजाने कष्ट पहुँचाए जाते हैं। यदि हम उन्हें नकारते रहते हैं, तो लोगों को अवसर मिल जाता है कि वह हमारा नज़ायज फायदा उठाते रहें या दूसरों के आगे हमारा उपहास उड़ाते रहे हैं। क्रोध कई बार हमारी सहायता करता है और ऐसे लोगों को संकेत कर देता है कि हम उनके इस व्यवहार से प्रसन्न नहीं है। कई समस्या तो क्रोध के कारण ही हल हो पाती है। जब तक मनुष्य धैर्यपूर्वक समस्या को झुलाने में लगा रहता है, तो समस्या ज्यों कि त्यों पड़ी रहती है। परन्तु हमारा क्रोध उस समस्या को कुछ क्षणों में ही हल कर देता है। यदि हम क्रोध न करें, तो समस्या हल ही नहीं होती। लोगों का हौसला बढ़ जाता है। अतः क्रोध हमारे लिए महत्वपूर्ण भी है।

  • 7

i agree with him

  • 0

hume iskee zarurat hai kyo ki hume dusrooon se apni baat manvani hoti hai

  • 0
What are you looking for?