Samajik Parampara Riti riwaj vyakti ke Vikas Mein badhak Hai long debate topic.

मित्र
सामाजिक परंपरा, रीति रिवाज, जो अंधविश्वास के नियम पर खड़े होते हैं, उनमें ऐसी बुराइयाँ होती हैं, जो मानव के विकास में बाधक होती हैं। इसमें छुआ-छूत, सामाजिक भेदभाव, दहेज प्रथा, बाल विवाह आदि हैं। इन बुराइयों के कारण किसी भी व्यक्ति का विकास नहीं हो पाता है। यदि कोई व्यक्ति अपना तथा समाज का विकास चाहता है, तो उसे इन समस्याओं को दूर करना चाहिए।  लोगों की बहुल संख्या एक समाज का निर्माण करती है। जब समाज के सभी लोग किसी एक प्रथा का पालन करते हैं, तब यह प्रथा सामाजिक प्रथा बन जाती है। तार्किक निष्कर्ष के बिना इन प्रथाओं का पालन करते जाना अपने आप में एक संदेहास्पद स्थिति है। कभी-कभी ऐसा भी होता है यदि किसी सामाजिक रीति रिवाज का पालन ना किया जाए तो समाज उसका बहिष्कार कर देता है। ऐसे रीति रिवाज मनुष्य केेेे विकास में बाधक होते हैं।
 इसकेेेेेेे उलट ऐसे सामाजिक संस्कार और रीति रिवाज हैंं, जो मनुष्य और उसकी जाति का विकास करने में सहायक होतेे हैं। विवाह संस्कार, मुंडन संस्कार, मृत्यु संस्कार आदि। मनुष्य इन संस्कारों के कारण अपनी जाति का विकास करता है और जीवन पथ पर आगे बढ़ता है। इन्हीं सकारात्मक रीति-रिवाजों के कारण मनुष्य के व्यक्तित्व और उसकी कार्य प्रणाली का विकास होता है।

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