sanjha ka arth kya hai ????
its not sandhya !!!!
मित्र संझा का अर्थ संध्या ही होता है। यह ऐसी बेला होती है जब न रात होती है और न दिन। इसे गोधूलि बेला के नाम से भी जाना है। मित्र ऐसा नहीं है कि लेखक ने उसी पंक्ति में संध्या का प्रयोग किया है, तो इसका अर्थ बदल जाएगा। इसका अर्थ वहीं रहेगा, जो है।