श्लोकांशान् योजयत-
क | ख | |
गृहं जीर्णं न वर्षासु | तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः। | |
हलेन च कुदालेन | या शुष्का कण्टकावृता। | |
पादयोर्न पदत्राणे | सस्यपूर्णानि सर्वदा। | |
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि | शरीरे वसनानि नो। | |
धरित्री सरसा जाता | वृष्टिं वारयितुं क्षमम्। |
क | ख | ||
गृहं जीर्णं न वर्षासु | वृष्टिं वारयितुं क्षमम्। | ||
हलेन च कुदालेन | तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः। | ||
पादयोर्न पदत्राणे | शरीरे वसनानि नो। | ||
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि | सस्यपूर्णानि सर्वदा। | ||
धरित्री सरसा जाता | या शुष्का कण्टकावृता। |