श्लोकांशान् योजयत-
क |
ख |
उद्यमेन हि सिध्यन्ति |
सर्वे तुष्यन्ति जन्तव:। |
प्रियवाक्यप्रदानेन |
वचने का दरिद्रता। |
चत्वारि तस्य वर्धन्ते |
प्रविशन्ति मुखे मृगा:। |
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं |
कार्याणि न मनोरथै:। |
नहि सुप्तस्य सिंहस्य |
आयुर्विद्या यशो बलम्। |
क |
ख |
उद्यमेन हि सिध्यन्ति |
कार्याणि न मनोरथै:। |
प्रियवाक्यप्रदानेन |
सर्वे तुष्यन्ति जन्तव:। |
चत्वारि तस्य वर्धन्ते |
आयुर्विद्या यशो बलम्। |
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं |
वचने का दरिद्रता। |
नहि सुप्तस्य सिंहस्य |
प्रविशन्ति मुखे मृगा:। |