Sanskriti, sanskrit vyakti, sabhyata, aur sabhya vyakti mein antar spasht karen.

संस्कृति वह कहलाती है जब मानव के अंदर किसी विषय को लेकर चिंतन-मनन करने की आवश्यकता पड़ती है। जो मानव वह चिंतन-मनन करता है, वह संस्कृत मानव कहलाता है। वह उस विषय में गहराई से सोचता है और फिर उसको साक्षात रूप देने के लिए प्रयासरत रहता है। इससे वह महत्वपूर्ण खोजें करता है। उसके द्वारा कलात्मक चीजों के सृजन के लिए किए गए प्रयास भी संस्कृति ही है जैसे- साहित्य, चित्रकला, वास्तुकला, शिल्पकला आदि भी संस्कृति का ही हिस्सा हैं।
इसके विपरीत सभ्यता एक सामाजिक व्यवस्था है जोकि हमारे जीवन को आसान व सुखी बना देता है। जो सभ्य तरीके से रहता है, उसे सभ्य मानव कहते हैं। मनुष्य के जीवन के लिए जो रहन-सहन के लिये एकत्र साधन व उपकरण आदि सभ्यता के अन्तर्गत आते हैं।

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