Sapno ke se din summary?


'सपनों के-से दिन' कहानी दुनिया के हर आम बच्चे की कहानी है। इस कहानी में लेखक ने उस हर छोटे-बड़े पहलू को उजागर किया है, जो हम शायद नज़र अंदाज कर देते हैं। यह कहानी आज़ादी से पहले हमारे गाँवों के जीवन, सोच, परिवेश, उनकी धारणाओं, समस्याओं आदि को उजागर करती है। यह कहानी एक गाँव के जीवन से आरंभ होती है। गरीबी के कारण माता-पिता पढ़ाई को बेकार मानते हैं। बच्चों के लिए भी पढ़ाई कैद के समान है। इसका कारण शिक्षा का उबाव होना नहीं है, ऐसा वे शिक्षा देने वाले अध्यापकों के सख्त व्यवहार के कारण करते हैं। दो अध्यापकों के माध्यम से लेखक हमारे आगे समस्या व निवारण दोनों रखते हैं। विद्यालय में एक प्रधानाचार्य शर्मा जी हैं, जो नम्र व स्नेही स्वभाव के हैं। उनका मानना है कि बच्चों की उम्र ऐसी नहीं होती कि उनके साथ सख्त व्यवहार किया जाए। उनके अनुसार उन्हें स्नेह और प्रेम से समझाना चाहिए। इसी कारण बच्चे उनसे प्यार करते हैं। इसके विपरीत विद्यालय के दूसरे अध्यापक प्रीतम चंद हैं, जो बच्चों के सख्त व्यवहार करते हैं। उन्हें कड़ी व क्रूरतापूर्ण सज़ाएँ भी देते हैं। सभी बच्चे उनसे डरते हैं। उनके व्यवहार के कारण पढ़ाई से दूर भागते हैं। शर्मा जी जिस दिन उनके इस तरह के व्यवहार से अवगत होते हैं, वह उनकी सेवाओं को स्थागित कर देते हैं। यह कहानी आज के अध्यापकों को एक संदेश देती है कि बच्चों का बाल मन स्नेह देने के लिए है, सख्त सज़ा देने के लिए नहीं। हमें चाहिए उनके साथ प्रेम से रहें। उनके दिलों में मीठी याद की तरह रहें और पढ़ाई को उनके लिए मज़ेदार बनाए।

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please read the chapter carefully.
there is no use of summary unless and until you don't know the theme and plot of it.
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