sarvanam ka vakya vanaah ... chaahiye
नमस्कार मित्र!
आप का प्रश्न पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आपको क्या चाहिए। यदि आपको सर्वनाम के विषय में जानना है, तो मैं आपको विस्तारपूर्वक समझाने का प्रयास करती हूँ। यदि फिर भी आपका यह प्रश्न नहीं है, तो निवेदन है कि आप मुझे प्रश्न दुबारा से लिख कर दें।
सर्वनाम–
जब हम किसी से बात करते हैं, तो उसका नाम लेकर उससे बात करते हैं जैसे-
श्याम कल क्यों नहीं आए। श्याम कल कहाँ थे? श्याम भाई का नाम क्या है। श्याम ठीक नहीं दिख रहे हो।
हमने आपको श्याम व उसके मित्र के बीच होने वाली बातचीत दिखाई। इन वाक्यों में आपने देखा होगा कि बार-बार हमने श्याम शब्द का प्रयोग किया है, जोकि अटपटा लगता है। हर जगह श्याम नाम का प्रयोग किया गया है। सर्वनाम शब्द इस अटपटेपन को समाप्त करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। देखिए कैसे-
श्याम कल क्यों नहीं आए? तुम कल कहाँ थे? तुम्हारे भाई का नाम क्या है। तुम ठीक नहीं दिख रहे हो।
इस वाक्य में अपने श्याम (संज्ञा) के स्थान पर हमने जिन शब्दों का प्रयोग किया है वह सर्वनाम शब्द कहलाते हैं।
हम सर्वनाम का अर्थ लेते हैं सर्व (सबका) + नाम। इस आधार पर हम कहें तो यह सबके नाम के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं।
यही शब्द सर्वनाम शब्द कहलाते हैं- मैं, हम, तू, तुम, अपने, तुम्हारे, आप, आपका, कोई, कौन, वही, तुमसे, जो, वह, यह वे इत्यादि शब्द सर्वनाम शब्द हैं।
1. वह खाना खा रहा था।
2. हमारे पास दस रुपए हैं।
3. यह तो मेरा है।
4. कोई आने वाला है।
5. उसे घर पर बुला लाओ।
6. मीरा कहाँ जा रही हो।
7. स्वयं ही बना लूंगा।
ढेरों शुभकामनाएँ!