Satark panth aur samarth bhav se kya abhipray hai spasht kijiye
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
सर्तक पंथ से कवि का अभिप्राय ऐसे मार्ग पर बढ़ना है, जिसमें संभल कर चलना है।
समर्थ भाव से कवि का अभिप्राय ऐसे भाव से है, जिसमें वह पूर्ण रूप से समर्थ हो।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
सर्तक पंथ से कवि का अभिप्राय ऐसे मार्ग पर बढ़ना है, जिसमें संभल कर चलना है।
समर्थ भाव से कवि का अभिप्राय ऐसे भाव से है, जिसमें वह पूर्ण रूप से समर्थ हो।