"satkar ki ooshma smapt ho gayi thi ! " isse lekhak ka abhipray hai?

मित्र इस कथन का आशय यह है कि लेखक ने शुरु-शुरु में अपने अतिथि की खूब मेहमान नवाज़ी की। उसके लिए तरह-तरह के पकवान बनवाए। परंतु दो-तीन दिन के बाद भी जब अतिथि ने जाने का नाम नहीं लिया तो लेखक को वह राक्षस प्रतीत होने लगा। उसका सारा उत्साह ठंडा हो गया। 

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