AnswersShikha Sharma has earned Enthusiast Badge." class="bagesToolTip" alt="badges " src="https://img-nm.mnimgs.com/img/site_content/badges/gold_small.gif" style="margin: 0px; padding: 4px; display: inline; border: 0px !important; background-image: none !important;" /
rid ki haddi paath ek ank par aadharit hai jiska uddeshya stiyon ko samaj mein pratishthit karna hai. is ekanki ki mukhya patr uma hai kyonki saari enkanki uske vivah ke ird gird hi ghoomti hai.
Posted byShikha Sharma(student)on 7/10/13
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जल मनुष्य की बहुत बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना कठिन है। हमारे शरी में जल की मात्रा भी 90 प्रतिशत तक मानी जाती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है। जबसे पृथ्वी का निर्माण हुआ है, जल भी हमारे साथ रहा है। पृथ्वी के हर छोटे बड़े प्राणी, जीव और पेड़-पौधों के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है। हमारे ग्रह में जल ही चारों तरफ व्याप्त है। पृथ्वी में सबसे अधिक जल की मात्रा है। हमारी पृथ्वी में यह तरल और ठोस रूपों में विद्यमान रहता है। पूरे ग्रह की आपूर्ति इन्हीं रूपों से होती है। यह समृद्र, नदियों में पाया जाता है। समृद्र का पानी खारा होता है, यह जलीय जीवों के लिए उचित होता है। अन्य कोई इस जल का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। नदियों का पानी पीने के लिए उपयुक्त होता है और इसी पर सभी निर्भर रहते हैं। नदियो में जल बर्फों के पिघलने से प्राप्त होता है। हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्व है। हमारे जीवन तो इसी पर निर्भर है। यह हमारे दैनिक जीवन में हर प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है। मनुष्य के शरीर में यदि पानी की कमी हो जाए तो उसका बहुत सी कठिनाईयों का प्रयोग करना पड़े। परन्तु विडंबना देखिए हम मनुष्य ने अपने इस जीवनदायी अमृत को दूषित करना प्रांरभ कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अब हमारे पीने के लिए ही जल उपलब्ध नहीं हो रहा है। यह हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
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जल मनुष्य की बहुत बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना कठिन है। हमारे शरी में जल की मात्रा भी 90 प्रतिशत तक मानी जाती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है। जबसे पृथ्वी का निर्माण हुआ है, जल भी हमारे साथ रहा है। पृथ्वी के हर छोटे बड़े प्राणी, जीव और पेड़-पौधों के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है। हमारे ग्रह में जल ही चारों तरफ व्याप्त है। पृथ्वी में सबसे अधिक जल की मात्रा है। हमारी पृथ्वी में यह तरल और ठोस रूपों में विद्यमान रहता है। पूरे ग्रह की आपूर्ति इन्हीं रूपों से होती है। यह समृद्र, नदियों में पाया जाता है। समृद्र का पानी खारा होता है, यह जलीय जीवों के लिए उचित होता है। अन्य कोई इस जल का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। नदियों का पानी पीने के लिए उपयुक्त होता है और इसी पर सभी निर्भर रहते हैं। नदियो में जल बर्फों के पिघलने से प्राप्त होता है। हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्व है। हमारे जीवन तो इसी पर निर्भर है। यह हमारे दैनिक जीवन में हर प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है। मनुष्य के शरीर में यदि पानी की कमी हो जाए तो उसका बहुत सी कठिनाईयों का प्रयोग करना पड़े। परन्तु विडंबना देखिए हम मनुष्य ने अपने इस जीवनदायी अमृत को दूषित करना प्रांरभ कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अब हमारे पीने के लिए ही जल उपलब्ध नहीं हो रहा है। यह हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
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जल मनुष्य की बहुत बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना कठिन है। हमारे शरी में जल की मात्रा भी 90 प्रतिशत तक मानी जाती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है। जबसे पृथ्वी का निर्माण हुआ है, जल भी हमारे साथ रहा है। पृथ्वी के हर छोटे बड़े प्राणी, जीव और पेड़-पौधों के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है। हमारे ग्रह में जल ही चारों तरफ व्याप्त है। पृथ्वी में सबसे अधिक जल की मात्रा है। हमारी पृथ्वी में यह तरल और ठोस रूपों में विद्यमान रहता है। पूरे ग्रह की आपूर्ति इन्हीं रूपों से होती है। यह समृद्र, नदियों में पाया जाता है। समृद्र का पानी खारा होता है, यह जलीय जीवों के लिए उचित होता है। अन्य कोई इस जल का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। नदियों का पानी पीने के लिए उपयुक्त होता है और इसी पर सभी निर्भर रहते हैं। नदियो में जल बर्फों के पिघलने से प्राप्त होता है। हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्व है। हमारे जीवन तो इसी पर निर्भर है। यह हमारे दैनिक जीवन में हर प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है। मनुष्य के शरीर में यदि पानी की कमी हो जाए तो उसका बहुत सी कठिनाईयों का प्रयोग करना पड़े। परन्तु विडंबना देखिए हम मनुष्य ने अपने इस जीवनदायी अमृत को दूषित करना प्रांरभ कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अब हमारे पीने के लिए ही जल उपलब्ध नहीं हो रहा है। यह हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
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