sir/ madam please explain the dristant alankar and virodhavas alankar

मित्र दृष्टांत अलंकार में उपमेय व उपमान का उनके साधारण धर्मों के बिंब तथा प्रतिबिंब भाव होता है। तथा 

.विरोधाभास में विरोध के नहीं होने पर भी विरोध का आभास प्रतीत होता है, वह विरोधाभास अंलकार है;जैसे- नयन लगे जबसे सखी तबसे लगत न नैन

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