केवल बाहरी भिन्नता के आधार पर अपनी परंपरा और पीढ़ियों को नकारने वालो को क्या सचमुच इस बात का बिलकुल अहसास नहीं होता की उनका आसन्न अतीत किस कदर उनके भीतर जड़ जमाये बैठा रहता है ???

पूरा डिटेल मे smसमझाये कृपया...प्ल्जज्ज्ज़..detail

मित्र इसमें लेखिका अपने और अपने पिता के मध्य स्वभाव की एकता को दर्शा रही हैं। उसके पिता एक पुरुष थे तथा वह एक स्त्री लेकिन उन दोनों के मध्य बातें एक सी ही थीं। उसके पिता दूसरों पर विश्वास नहीं करते थे और लेखिका स्वयं पर। वह जानती थी कि उसके पिता और उसका अतीत है, जो उनके अंदर समान रूप से विद्यमान है। 

  • 0
What are you looking for?