Solve this:
1- नदियों को मां मानने की परंपरा हमारे यहां काफी पुरानी है। कवि नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
2- सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएं बताई गई हैं?
3- काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
4- हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की?
मित्र!
हम एक बार में एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न पुन: पूछ सकते हैं। हम उनके उत्तर अवश्य देंगे।
अतीतकाल से ही भारत में नदियों को माँ मानने की परम्परा चली आ रही है। इसके पीछे का कारण भी बहुत गहरा है। माँ की भांति नदियाँ, मनुष्यों की जरूरतों को पूरा करती आ रही हैं। नदियों के जल का विभिन्न प्रकार से उपयोग करके मनुष्य अपनी पूर्ति कर रहा है। युगों-युगों से ये नदियाँ मनुष्य की प्यास बुझा रही हैं। मनुष्य एक पुत्र की भांति कितना भी कृतघ्न हो जाए, किन्तु माता की भांति नदियाँ कभी भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटतीं। कवि नागार्जुन उनको विभिन्न रूपों में देखते हैं। कभी बेटी के रूप में देखते हैं, तो कभी बहन के रूप में देखते हैं और कभी प्रेयसी के रूप में देखते हैं।
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अतीतकाल से ही भारत में नदियों को माँ मानने की परम्परा चली आ रही है। इसके पीछे का कारण भी बहुत गहरा है। माँ की भांति नदियाँ, मनुष्यों की जरूरतों को पूरा करती आ रही हैं। नदियों के जल का विभिन्न प्रकार से उपयोग करके मनुष्य अपनी पूर्ति कर रहा है। युगों-युगों से ये नदियाँ मनुष्य की प्यास बुझा रही हैं। मनुष्य एक पुत्र की भांति कितना भी कृतघ्न हो जाए, किन्तु माता की भांति नदियाँ कभी भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटतीं। कवि नागार्जुन उनको विभिन्न रूपों में देखते हैं। कभी बेटी के रूप में देखते हैं, तो कभी बहन के रूप में देखते हैं और कभी प्रेयसी के रूप में देखते हैं।