Solve this:
1. धूल पाठ का मूल भाव स्पष्ट करें।
2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?

मित्र!
हम एक बार में एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। आप अपने प्रश्न पुन: पूछ सकते हैं। हम उसका उत्तर अवश्य देंगे। 

धूल पाठ का मूल भाव है कि हम सबका शरीर इस धूल से बना है। मरने के बाद हमारा शरीर धूल हो जाना है। गाँव का जीवन और उसका सौन्दर्य धूल ही है। किसान रात और दिन इसी धूल में रहता है, तभी देश में अन्न पैदा होता है। मगर इसी धूल की परिभाषा नगरीय जीवन में बदल जाती है। नगर में रहने वाले लोग धूल को हीन दृष्टि से देखते हैं। वे अपने बच्चों को धूल में खेलने से मना करते हैं। बेशक नगरों में रहने वाले लोग धूल से दूर हो जाएँ या इसे तुच्छ समझें, पर धूल की वास्तविकता क्या है, इसके बारे में इनको जानना ही होगा।

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