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प्रिय मित्र!
    आपके प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं- 
1) इस कहानी में कई पात्र है परन्तु सबसे सशक्त पात्र बनकर जो उभरता है वह उमा ही है। उमा की उपस्थिति भले थोड़े समय के लिए थी परन्तु उसके विचारों से प्रभावित हुए बिना हम नहीं रह पाते हैं । वह हमें बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करती है । उसकी उपस्थिति नारी-समाज को एक नई सोच और दिशा प्रदान करती है।
 
 2) मेरे विचार से दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं – गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन में भी बिजनेस खोज रहे हैं, वे इस तरह के आचरण से इस सम्बन्ध की मधुरता, तथा सम्बन्धों की गरिमा को भी कम कर रहे हैं। रामस्वरूप जहाँ आधुनिक सोच वाले व्यक्ति होने के बावजूद कायरता का परिचय दे रहे हैं ।वे चाहते तो अपनी बेटी के साथ मजबूती से खड़े होते और एक स्वाभिमानी वर की तलाश करते न की मज़बूरी में आकर परिस्तिथि से समझौता करते ।
 
 
 सादर।

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