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1.  व्यक्तिवाचक संज्ञा  :- किसी विशेष व्यक्तिस्थान अथवा वस्तु के नाम को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे रामश्याममोहनदिल्लीभारत आदि। यहाँ रामश्याम तथा मोहन व्यक्ति के नाम हैंदिल्ली तथा भारत स्थान के नाम हैं और शेर पशु को सम्बोधित करता हैइसीलिए ये व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं। इसी प्रकार फलविभिन्न नदियों तथा पहाड़ों के नाम भी व्यक्तिवाचक संज्ञा ही हैं।

2.  जातिवाच  संज्ञा :- जो संज्ञा शब्द किसी जाति विशेष का बोध कराते हैंजैसे -

(i)  नगर जाति  का

(ii)  नदियों की जाति  का

(iii)  जानवर जाति  का

(iv)  मनुष्य जाति  का

अतनगरकुर्सीपहाड़नदीसभास्त्री आदि शब्द एक पूरी जाति का बोध कराते हैं। इसलिए ये जातिवाचक संज्ञा हैं। यदि किसी शहर नदी अथवा व्यक्ति का  नाम  हो तो वहाँ व्यक्तिवाचक है जातिवाचक संज्ञा नहीं।)


संज्ञा के दो भेदों में उपस्थित भ्रम के कारण कठिनाई - प्राय : छात्रों में जातिवाचक संज्ञा और व्यक्तिवाचक संज्ञा में भ्रम पैदा करके प्रश्न पूछा जाता है। इस भ्रम को समझने के लिए इनके मध्य अंतर को समझना पड़ेगा। देखिए कैसे -

मोहनदास करमचंद गांधीका जन्म २ अक्टूबर को हुआ था।
इस वाक्य में ' गांधी ' शब्द जातिवाचक संज्ञा है क्योंकि यह जाति का सूचक है। परन्तु यह जातिवाचक संज्ञा तब अपना रूप बदलकर व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है , जब यह संज्ञा किसी व्यक्ति का बोध कराने लगे। देखिए कैसे -

गांधीजी का जन्म २ अक्टूबर को हुआ था।

इस वाक्य में ' गांधी ' जातिवाचक संज्ञा से बदलकर व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में बदल गया है। ऐसी ही स्थिति व्यक्तिवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा के मध्य आती है।


 

क . सीताका विवाह राम के साथ हुआ।


 

यहाँ सीता व्यक्तिवाचक संज्ञा है। अब दूसरा उदाहण देखिए -


 

ख . भारत की इन्हीं सीताओंने भारत का गौरव बनाए रखा है।


 

इस वाक्य में सीताओं शब्द सभी स्त्री जाति का बोध कर रहा है। अतः यह जातिवाचक संज्ञा में परिवर्तित हो गया है।


 

जातिवाचक संज्ञा शब्द या अन्य शब्दों से भाववाचक शब्दों के निर्माण के कारण इन शब्दों को पहचानने में कठिनाई - भाववाचक संज्ञा का निर्माण जातिवाचक संज्ञा शब्दों तथा विशेषण , सर्वनाम , क्रिया शब्दों से होता है। इस कारण संज्ञा शब्दों को समझने में कठिनाई आती है। जैसे -

व्यक्तिजातिवाचक संज्ञा है , इससे व्यक्तित्वभाववाचक संज्ञा का निर्माण होता है। 

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