Solve this:
मित्र!
आपका उत्तर इस प्रकार है-
`धर्म की आड़` पाठ से यह सीख मिलती है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए लोगों को आपस में लड़ाते हैं। भोले-भाले लोग यह सोचते हैं कि वे जो कर रहे हैं धर्म के लिए कर रहे हैं। कोई धर्म आपस में झगडा करना नहीं सिखाता। मुल्ले, मौलवी, पंडित, गुरु इत्यादि धर्म का पाठ पढ़ाते हैं जबकि आम आदमी को मानवता का पाठ पढ़ना चाहिए। लेखक कहते हैं कि शंख बजाने से या नमाज़ पढ़ने से आप धर्म का पालन नहीं करते, आप धर्म का पालन तभी करते हैं जब आप मन और आत्मा से शुद्ध हों।
आपका उत्तर इस प्रकार है-
`धर्म की आड़` पाठ से यह सीख मिलती है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए लोगों को आपस में लड़ाते हैं। भोले-भाले लोग यह सोचते हैं कि वे जो कर रहे हैं धर्म के लिए कर रहे हैं। कोई धर्म आपस में झगडा करना नहीं सिखाता। मुल्ले, मौलवी, पंडित, गुरु इत्यादि धर्म का पाठ पढ़ाते हैं जबकि आम आदमी को मानवता का पाठ पढ़ना चाहिए। लेखक कहते हैं कि शंख बजाने से या नमाज़ पढ़ने से आप धर्म का पालन नहीं करते, आप धर्म का पालन तभी करते हैं जब आप मन और आत्मा से शुद्ध हों।