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पुराने ज़माने में स्त्रियों के लिए कोई विश्वविद्यालय न था। फिर नियमबद्ध प्रणाली का उल्लेख आदि पुराणों में न मिले तो क्या आश्चर्य। और, उल्लेख उसका कहीं रहा हो, पर नष्ट हो गया हो तो? पुराने ज़माने में विमान उड़ते थे। बताइए उनके बनाने की विद्या सिखाने वाला कोई शास्त्र! बड़े-बड़े जहाज़ों पर सवार होकर लोग द्वीपांतरों को जाते थे। दिखाइए, जहाज बनाने की नियमबद्ध प्रणाली के दर्शक ग्रंथ! पुराणादि में विमानों और जहाज़ों दव्ारा की गई यात्राओं के हवाले देखकर उनका अस्तित्व तो हम बड़े गर्व से स्वीकार करते हैं, परंतु पुराने ग्रंथों में अनके प्रगल्भ पंडिताओं के नामोल्लेख देखकर भी कुछ लोग भारत की तत्कालीन स्त्रियों को मूर्ख, अपढ़ और गंवार बताते हैं। 
 
क- पुराणों में नियमबद्ध शिक्षा-प्रणाली न मिलने पर लेखक आश्चर्य क्यों नहीं मानता?
ख- जहाज बनाने के कोई ग्रन्थ न होने या न मिलने पर लेखक क्या बताना चाहता है?
ग- शिक्षा की नियमावली का न मिलना, स्त्रियों की अनपढ़ता का सबूत क्यों नहीं है?
 
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिये-
क-हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति को देखकर कैसा अनुभव हुआ था और क्यों? चलने लगे तो वे किसके प्रति नतमस्तक हुए थे?

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nice question.
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