Soordaas vatsalya ras ke samrat hain. spasht kijiye. (around 250 words) (project work) (atleast points if 250 words are not possible)

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
 
सूरदास कृष्ण भक्त हैं। उन्हें कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करने में महारत हासिल थी। वात्सल्य का जैसा वर्णन इन्होंने किया है शायद ही किसी और ने किया हो। सूरदास जन्मांध थे मगर कृष्ण के बाल रूप का इतना सजीव और सुंदर वर्णन जैसे इन्होंने किया है, इससे विद्वानों को इस विषय पर संदेह होने लगता है कि वह जन्मांध थे भी या नहीं। ऐसा अनूठा तथा बेजोड़ वर्णन है कि सुनने वाले और पढ़ने वाले दोनों ही भाव-विभोर हो जाते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक की भांति बच्चे के मनोविज्ञान और प्रवृत्ति को अपनी रचनाओं में उतार पाए हैं। बच्चों की प्रत्येक अवस्था को बड़ी सजीवता से व्यक्त करते हैं। उनकी सोच, उनकी शैतानियाँ, उनकी प्रवृत्तियाँ इत्यादि का वर्णन यत्र-तत्र इनकी रचनाओं में मिल जाता है। कृष्ण की बाल लीलाएँ इस बात का प्रमाण है।  निम्नलिखित उदाहरणों से यह सिद्ध हो जाता है कि वात्सल्य रस में यह सच में सम्राट हैं।-


1. मैं नहिं माखन खायो
मैया! मैं नहिं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो।
देखि तुही छींके पर भाजन ऊँचे धरि लटकायो।।


2. हरस आनंद बढ़ावत
​हरि अपनैं आंगन कछु गावत।
​तनक तनक चरनन सों नाच मन हीं मनहिं रिझावत।
बाँह उठाइ कारी धौरी गैयनि टेरि बुलावत।

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