Spast Kare Ki Mahavir Prasad Divedi ji ki Drishti vyapak va Adhunik hai?

मित्र !

आपका उत्तर इस प्रकार है :

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युग प्रवर्तक थे  ।​ अपने आलोचनात्मक लेखन से नवजागरण काल में प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अपने युग के महान लेखक भी थे । वे स्त्री और पुरुष दोनों को समान मानते थे । वे अपने आधुनिक और व्यापक विचारों से पुरातनपंथी लोगों से लोहा लेते रहते थे । उनके विचार के अनुसार, जो परंपरा पुरानी और सड़ गई है उसे अपने विवेक से बदल डालो । किसी पुरानी परंपरा को मानने से पहले उसे अपनी बुद्धि से तोलो । वे विचारों की आधुनिकता के पक्षधर थे । स्त्री शिक्षा को पुरातनपंथी नकारते थे । द्विवेदी जी ने अपने आधुनिक विचारों से समाज को अवगत कराया । उन्होंने स्त्री शिक्षा के विरोधियों​ के कुतर्कों का जोरदार खंडन किया । उन्होंने अपने लेखनी से अपने आधुनिक विचार स्पष्ट किए । ज्ञान विज्ञान के तर्कों के आधार पर स्वाधीनता और स्वदेशी पर बल दिया । उन्होंने इसे अपने लेखन में उपदेश की तरह नहीं लिखा अपितु मन से, कर्म से और वचन से निभाया । ​इस समाज के लिए जितना पुरुष योगदान करता है उतना योगदान नारी भी करती है । उनके विचारों से स्त्री और पुरुष दोनों परिवार, समाज और देश को आगे बढ़ाने में बराबर के भागीदार होते हैं । ​द्विवेदी जी समाज के पुराने नियमों को नहीं मानते थे । वे मन और मस्तिष्क का प्रयोग करते थे । अपनी लेखन प्रतिभा से वे अपने आधुनिक विचारों से समाज को आगे ले जाना चाहते थे ।

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