एक ही रात में जो सुख-शांति व संतोष पाया वह उन्होंने भाइयो के घर कभी न पाया. इस कथन के सन्दर्भ में बताइए की काका की stithi कहाँ तक सही थी ?
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे है। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
एक ही रात में जो सुख-शांति व संतोष हरिहर काका ने पाया, वह उन्होंने अपने भाइयों के घर कभी न पाया। इस कथन में हरिहर काका की भावनात्मक स्थिति के बारे में बताया गया है। हरिहर काका को ठाकुरबाड़ी में एक रात रहने पर जो सम्मान मिला, वह उनको जिंदगी में कभी नहीं मिला था। उन्हें खाने को मिष्ठान और छप्पन भोग मिले, जो उन्होंने अपने जीवन में कभी देखे भी नहीं थे। रस भरे मालपुए, मिठाइयाँ, छेना, दही-दूध सब कुछ खाया। उनके मन को आत्मिक शांति भी महंत जी की धर्म-कर्म की बातों से हुई। इस कथन के हिसाब से हरिहर काका की स्थिति बिल्कुल ठीक थी क्योंकि जो सुख उन्होंने वहां पर भोगा, वह उन्होंने आज तक कभी देखा नहीं था।