sudama charit path ko ekanki me badal kar likhiye?

मित्र सारे पाठ को एकांकी रूप में लिखकर देना संभव नहीं है। आप इसको इस तरह से आरंभ कर सकते हैं। आगे आप स्वयं प्रयास करें। कविता को पढ़े और उसी आधार पर कहानी को आगे बढ़ाएँ।

महल के द्वार पर एक गरीब दीन-हीन ब्राह्मण की बातें सुनकर द्वारपाल अचरच में है। वह इस बात पर विश्वास नहीं कर पार रहा है कि वह द्वारकापति श्रीकृष्ण को अपना मित्र बता रहा है। उसका मन तो कर रहा है कि वह उस ब्राह्मण को भगा दे। परन्तु मन-ही-मन डर भी रहा है कि कहीं यह ब्राह्मण क्रोधवश मुझे श्राप न दे दे या फिर यह कहीं सच में श्रीकृष्ण का मित्र न हो। वह दौड़ते हुए श्रीकृष्ण के पास जाता है।

श्रीकृष्णकहोद्वारपाल इतने चिंतित क्यों दिखाई दे रहे हो?

द्वारपाल- (चिंता के साथहे प्रभु द्वार पर आपको कोई पूछ रहा है।

श्रीकृष्ण- (हैरान होकरमुझेकौन हैक्या नाम हैक्या तुमने ये सब पूछा नहीं?

द्वारपाल-(परेशान होकरहाँ प्रभु पूछा हैवह बहुत ही गरीब हैउसकी दशा बहुत ही दीन-हीन है। पैरों में खड़ाऊ नहीं है। उसके तन में कुर्ता भी नहीं हैउसकी धोती भी फटी हुई। वह यह बार-बार कह रहा है कि वह आपका परम मित्र है और अपना नाम सुदामा बता रहा है।..........

 

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