Sumary of kathputli in Vasant bhag do

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hi
 
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इस कविता में एक कठपुतली अपने आप चलती के बारे में सोच शुरू होता है और उसे मुक्त जाने के लिए कहता है, लेकिन अंत में यह कि कैसे इस सवाल उसके मन में आया यह जानता है?
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Nmk
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jklkl
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