summary of full poem 'yamraj ki disha' in hindi.

'यमराज की दिशा' कविता में कवि चंद्रकांत देवताले ने मृत्यु की दिशा के बारे में बताते हुए, हमें सांकेतिक तौर पर कुछ कहने का प्रयास किया है। कवि के अनुसार उनकी माँ दक्षिण दिशा में पैर करके सोने के लिए मना करती थीं। उनके अनुसार दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता की दिशा है। उस दिशा पर पैर रखकर सोने से यमराज बुरा मान जाते हैं। परन्तु आज चारों दिशाओं पर जीवन विरोधी शक्तियाँ अपना वर्चस्व फैला रही हैं। इनके कारण आज हर दिशा मृत्यु की दिशा बन गई है। अब आप किसी भी दिशा की तरफ़ जाओ आपको विध्वंस, हिंसा, आदि का साम्राज्य देखने को मिल जाएगा। यमराज तो मृत्यु के देवता माने जाते हैं। परन्तु इस तरह के असामाजिक तत्व अपने स्वार्थ हितों के लिए अन्य लोगों को मृत्यु देने का कार्य करते हैं। उनके अनुसार आज ये तत्व सर्वव्यापक हैं।

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