summary of kichad ka kavya ,,,,,,,,,,,,,,,reply fast pls

'कीचड़ का काव्य' पाठ में लेखक काका कालेलकर ने कीचड़ के गुणों और महत्व का वर्णन किया है। उनके अनुसार लोग कीचड़ को देखकर मुँह बिगाड़ने लगते हैं, नाक को सिकोड़ने लगते हैं। परन्तु यह भूल जाते हैं कि यह कीचड़ कितनों गुणों से भरा हुआ है? हमारे लिए यह कितना उपयोगी है? लेखक के अनुसार कीचड़ में ही कमल का फूल खिलता है, जिसे हम भगवान पर चढ़ाते हैं। कीचड़ के कारण ही हमारे लिए अन्न की व्यवस्था हो पाती है क्योंकि यह कीचड़ में से ही उगता है। आधुनिक जीवन में तो लोग कीचड़ के समान रंग को अपनी दीवारों पर लगवाते हैं। कार्ड पर, किताबों पर और कीमती फूलदान आदि पर इसी रंग का प्रयोग किया जाता है। उसे वह कला का सुंदर रूप मानते हैं। कीचड़ से आखिर घृणा क्यों की जाती है। लेखक को लोगों द्वारा कीचड़ की इस अनदेखी पर बहुत दुख होता है। वह यही कोशिश करते हैं कि इस पाठ को पढ़ लेने के बाद लोग शायद कीचड़ के विषय में अपनी सोच बदल लेगें।

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