summary of sapnom ke se din

Lekhak apne bachpan ke bare me batate hai. Apne school aur dosto ke bare me batate hai. Unhe school jana bilkul aacha nahi lagta tha. Ve mastero ki pitai se darte the. Phir bhi khel kud chod padh nahi pate the. Chutiyon me ve talab me nahaya karte the.Ve sochte ki thode dino me kam hojayega. Parantu esa karte karte chutiya beet jati aur ve pitne ke liya tayari karte.Unho ne apne P.T. master aur Headmaster ke bare me khas tor pe likha he. P.T. master ati sakt hai aur headmaster dayalu hai. Is tarah unka bachpan haste khelte kaha nikal gaya unhe pata hi nahi chal.

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Sapnon ke se din is from Hindi course B,cbse board.

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i guess this will be enough for 2 marks ......... : )

Best Wishes................ Good luck 4 ur exam.......... : )

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Hi!
सपनों के-से दिन कहानी दुनिया के हर आम बच्चे की कहानी है। इस कहानी में लेखक ने उस हर छोटे-बड़े पहलू को उजागर किया है जो हम शायद नज़र अंदाज कर देते हैं। लेखक ने इस कहानी को साधारण व सरल भाषा में लिखा है। यह कहानी आज़ादी से पहले हमारे गाँव के जीवन, सोच, परिवेश, उनकी धारणाओं, समस्याओं आदि को उजागर करती है। यह कहानी एक गाँव के जीवन से आरंभ होती है। जहाँ बच्चों के लिए पढ़ना घर में कैद करने के समान है। इसका कारण शिक्षा का उबाव होना नहीं है अपितु शिक्षा देने वाले अध्यापकों के सख्त व्यवहार के कारण है। विद्यालय वह स्थान है जहाँ विद्यार्थी आकार व रूप पाता है। उसके उज्जवल भविष्य की नींव उसका विद्यालय रखता है। यहाँ दो अध्यापकों के माध्यम से कवि हमारे आगे समस्या व निवारण दोनों रखता है।
विद्यालय में एक प्रधानाचार्य शर्मा जी हैं जो नम्र व स्नेही स्वभाव के हैं। उनका मानना है की बच्चों की उम्र सख्त व्यवहार करके समझना नहीं है अपितु उन्हें स्नेह व प्रेम से समझना है। वह बच्चों के साथ सख्तपूर्ण व्यवहार व सज़ा देने के सख्त विरोधी है। इसी कारण बच्चे उनसे प्यार करते हैं। उनकी कक्षा में पढ़ते हैं। उसके विपरीत उनके विद्यालय के दूसरे अध्यापक प्रीतम चंद हैं जो बच्चों के सख्त व्यवहार ही नहीं करते हैं अपितु उन्हें कड़ी व क्रूरपूर्ण सज़ा भी देते हैं। सभी बच्चे उनसे डरते हैं व उनके व्यवहार के कारण पढ़ाई से दूर भागते हैं। शर्मा जी जिस दिन उनकी इस तरह के व्यवहार से अवगत होते हैं, वह उनकी सेवा स्थागित कर देते हैं। यह कहानी आज के अध्यापकों को एक संदेश देती है की बच्चों का बाल मन स्नेह देने के लिए है सख्त सजा देने के लिए नहीं।
 
मैं आशा करती हूँ कि आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
@WannaChan आपने बहुत अच्छा उत्तर दिया है।
 
ढेरों शुभकामनाएँ !

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