summary of story parvat pradesh mein pavas

accha kavita hai

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even i cant find it dude......

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sanyam

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yolo

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यह कविता पर्वतीय प्रदेश की सुंदरता को प्रकट करती है। पंत जी ने अपनी कविताओं में प्रकृति का जो सुंदर वर्णन किया है, वह बहुत कम कवियों की कविताओं में देखने को मिलता है। इस कविता को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है मानो हम अपनी आँखों से ही पर्वतीय प्रदेश के सौन्दर्य को निहार रहे हैं। जिसने कभी पर्वतीय प्रदेश की यात्रा नहीं की है, वह इनकी कविताओं के माध्यम से सौन्दर्य की अनुभूति ले सकता है। इस कविता में पंत जी ने पर्वतीय प्रदेश का वर्णन करते हुए कहा है कि यहाँ का सौन्दर्य अनुपम है। प्रकृति पल-पल अपना स्वरूप बदल रही है। खड़े पहाड़, उनके नीचे बना जलाशय, चीड़ के खड़े पेड़, पहाड़ों पर से निकलते झरने, आकाश में छाए बादल आदि विभिन्न रूपों में प्रकृति अपनी लीलाएँ दिखा रही है। इन्हें देखकर लगता नहीं है कि यह निर्जीव कहे जाते हैं। इनका व्यवहार मानवों के समान ही प्रतीत हो रहा है। इस सौन्दर्य को देखकर सभी चकित रह जाते हैं। कवि प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए पूरा न्याय करते हैं और पढ़ने वालों को बांधे रखते हैं। हिन्दी में पावस का अर्थ होता वर्षाकाल। अत: इस कविता के शीर्षक का आशय है पर्वतों में वर्षाकाल का समय। If u found it easy and if u r compatible with this then please reply Ayesha
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awesome
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Nice
 
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Pls stick to the point instead of writing rubbish
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Guys plz send crct ans plz
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idk the answer ;_;
 
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In English please parvath Pradesh class 10
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Is anybody having the answer
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paravth pradesh i want in english
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I am not interested in any of these chats so try to keep it to yourselves
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summary plzz
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यह कविता पर्वतीय प्रदेश की सुंदरता को प्रकट करती है। पंत जी ने अपनी कविताओं में प्रकृति का जो सुंदर वर्णन किया है, वह बहुत कम कवियों की कविताओं में देखने को मिलता है। इस कविता को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है मानो हम अपनी आँखों से ही पर्वतीय प्रदेश के सौन्दर्य को निहार रहे हैं। जिसने कभी पर्वतीय प्रदेश की यात्रा नहीं की है, वह इनकी कविताओं के माध्यम से सौन्दर्य की अनुभूति ले सकता है। इस कविता में पंत जी ने पर्वतीय प्रदेश का वर्णन करते हुए कहा है कि यहाँ का सौन्दर्य अनुपम है। प्रकृति पल-पल अपना स्वरूप बदल रही है। खड़े पहाड़, उनके नीचे बना जलाशय, चीड़ के खड़े पेड़, पहाड़ों पर से निकलते झरने, आकाश में छाए बादल आदि विभिन्न रूपों में प्रकृति अपनी लीलाएँ दिखा रही है। इन्हें देखकर लगता नहीं है कि यह निर्जीव कहे जाते हैं। इनका व्यवहार मानवों के समान ही प्रतीत हो रहा है। इस सौन्दर्य को देखकर सभी चकित रह जाते हैं। कवि प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए पूरा न्याय करते हैं और पढ़ने वालों को बांधे रखते हैं। हिन्दी में पावस का अर्थ होता वर्षाकाल। अत: इस कविता के शीर्षक का आशय है पर्वतों में वर्षाकाल का समय। thanks🙏🙇
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Please find this answer

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I want the summary in english
 
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Nirjar ka arth jharna hota hai
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कवि ने इस कविता में प्रकृति का ऐसा वरणन किया है कि लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी है। कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप हर पल बदल  रहा है कभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है। पर्वतों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे है जैसे पर्वतों की आँखे हो और वो इन आँखों के सहारे अपने आपको अपने चरणों ने फैले दर्पण रूपी तालाब में देख रहे हों। पर्वतो से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों।  बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों,चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है
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parvat pradeesh me pawas sondrya ko vyat krne wali kavita h. prakriti ka yah sondrya varsha me or bhi bhad jaati h . varsha kaal me prakriti me shad shad hone wale pariwrtan dekhkr lagta h ki prakriti sajne dhajne ke kram me pal pal apna vesh bdl rhi h. vishaal akash walamekhlakaar prwat h jispr phool khile h.
 
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No idea
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anong english ng sanggol
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Sumithra.nand
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