summary of this chapter in 2 pages

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हम क्षमा चाहते हैं, हम आपको दो पन्नों की व्याख्या नहीं दे सकते हैं। हम आपको इस पाठ का सार लिखकर दे रहे हैं, आप इस आधार पर स्वयं आगे लिख सकते हैं। आप पाठ को एक बार पढ़िए व उसमें महत्वपूर्ण घटनाएं व बातों को पेंसिल की सहायता से रेखांकित कीजिए व उन्हें लिखकर उनका छोटा रूप तैयार कर लीजिए।
नौबतखाने में इबादत पाठ में लेखक ने शहनाईवादक बिस्मिल्ला खां के जीवन को उकेरा है। जहाँ एक तरफ उन्होंने बिस्मिल्ला खां के जीवन से हमारा परिचय कराया है, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने उनकी रुचियों, उनके अंतर्मन की बातें, संगीत की साधना और लगन को संवेदनशील भाषा में व्यक्त किया है। उन्होंने बताया की बिस्मिल्ला खां ने इसे मात्र वाद्य यंत्र ना मानकर साधना के रुप में लिया है। उन्होंने 80 वर्ष की उम्र में भी इस साधना को जारी रखा। बिस्मिल्ला खां के चरित्र के उस पक्ष को उजागर किया जिससे हर कोई अछूता था। खां साहब देश के जाने-माने लोगों में से एक थे लेकिन उनके अंदर अंहकार का लेष मात्र भी नहीं था। इतने बड़े व्यक्ति होने के बावजूद भी वह जमीन के व्यक्ति थे जो की उन्हें सबसे विशिष्ट बनाती है।
 
ढ़ेरों शुभकामनाएँ?  

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