summary of this chapter.PLEASE
Hi,
बाज और साँप पाठ मनुष्य को प्रेरणा देता है की मनुष्य को जीवन में परेशानियों व कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए। जो मनुष्य जीवन में सदैव कठिनाईयों व परेशानियों से आँखें मिलाकर चलता है, वह आगे चलकर समाज में प्रेरणा का स्रोत बनकर उनका मार्गदर्शन करता है। इस कहानी में बाज और साँप के माध्यम से कवि अपनी बात स्पष्ट करता है। बाज इसमें साहसी व निडरता वीर का बोध करता है तो साँप गुलामी में लिपटे मूर्ख का। साँप नदी के किनारे एक गुफा में रहता है वह अपने जीवन में स्वयं को बड़ा सुखी मानता है क्योंकि उसे ना ही किसी बात की तकलीफ है और ना ही भय। एक दिन घायल बाज उसके जीवन में हलचल पैदा कर देता है। बाज को आकाश से बहुत प्रेम है। वह सारी उम्रभर आकाश में उड़ता रहा है। उसने मार्ग में आने वाली कठिनाईयों का सर उठाकर सामना किया है। वह अपने अंतिम क्षणों में भी आखिरी कोशिश कर आकाश की ऊँचाइयों को छूना चाहता है। साँप पहले तो बाज को मूर्ख समझता है व उसका मन-ही-मन मजाक उड़ाता है। परन्तु बाज द्वारा आकाश में उड़ने के लिए आखिरी प्रयास कर, अपने प्राणों का बलिदान देना उसे अंदर तक हिला देता है। वह भी बाज के समान एक प्रयास करता है। साँप अपने प्रयास से डर जाता है। लेकिन बाज का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। साँप ने उसके बलिदान से प्रेरित होकर एक बार प्रयास अवश्य किया जो की इस बात का प्रमाण है की बाज सही था। उसके किए बलिदान ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। साँप एक पल के लिए ही सही परन्तु अपनी सड़े-गले जीवन से निकलने का प्रयास अवश्य करता है। लहरें उसके इसी बलिदान पर उसके लिए विजयगान गाती है।
मैं आशा करती हूँ कि आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढ़ेरो शुभकामनाएँ!