summary of vir kunvar Singh
मित्र इस पाठ का सारांश इस प्रकार है-
यह पाठ एक महान व्यक्ति के जीवन पर आधारित है। उनका नाम वीर कुंवर सिंह था। वीर कुंवर सिंह 1857 के विद्रोह के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ों को लोहे के चने चबवा दिए थे। वीर कुंवर सिंह बिहार के जगदीशपुर रियासत के ज़मीदार थे। उनके पिता का नाम साहबज़ादा और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। वह इस विद्रोह में सबसे बड़ी उम्र के वीर योद्धा थे, जिन्होंने इतने वृद्ध होने पर भी अंग्रेजों से हार नहीं मानी थी। इन्होंने अपनी सेना में अन्य धर्मों के लोगों को भी स्थान दिया था। इन्होंने धार्मिक सहिष्णुता की बहुत अच्छी मिसाल कायम की। यह वीर, निडर, साहसी, चतुर, कार्यकुशल, कुशल प्रशासक, कर्तव्यपरायण, दृढ़ निश्चयी और नीति कुशल राजा थे। यह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने 80 साल की उम्र में स्वतंत्रता के लिए जमकर लड़ाई की थी। इनके बल और पराक्रम के आगे समस्त जन नतमस्तक हो गए।
यह पाठ एक महान व्यक्ति के जीवन पर आधारित है। उनका नाम वीर कुंवर सिंह था। वीर कुंवर सिंह 1857 के विद्रोह के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ों को लोहे के चने चबवा दिए थे। वीर कुंवर सिंह बिहार के जगदीशपुर रियासत के ज़मीदार थे। उनके पिता का नाम साहबज़ादा और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। वह इस विद्रोह में सबसे बड़ी उम्र के वीर योद्धा थे, जिन्होंने इतने वृद्ध होने पर भी अंग्रेजों से हार नहीं मानी थी। इन्होंने अपनी सेना में अन्य धर्मों के लोगों को भी स्थान दिया था। इन्होंने धार्मिक सहिष्णुता की बहुत अच्छी मिसाल कायम की। यह वीर, निडर, साहसी, चतुर, कार्यकुशल, कुशल प्रशासक, कर्तव्यपरायण, दृढ़ निश्चयी और नीति कुशल राजा थे। यह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने 80 साल की उम्र में स्वतंत्रता के लिए जमकर लड़ाई की थी। इनके बल और पराक्रम के आगे समस्त जन नतमस्तक हो गए।