summery of the chapter

Hi,
नौकर पाठ में लेखिका के अनुसार कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता है। मनुष्य कुछ कामों को करने पर स्वयं को छोटा मानते हैं। उनके अनुसार यह काम तो नौकरों के करने के लिए होता है। लेखिका गांधी जी का उदाहरण देकर समाज के आगे यह मिशाल रखना चाहती है की कोई काम करने से मनुष्य का सम्मान घट नहीं जाता। गांधी जी ने लदंन से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी। वह उस समय में भी घर का काम स्वयं किया करते थे। पूरे भारत में लोग उनके एक इशारे पर मरने व मारने के लिए तैयार हो जाते थे लेकिन अपने आश्रम में बर्तन धोना, खाना देना, पानी भरना जैसे कार्य वह स्वयं किया करते थे। ऐसे महान व्यक्ति महात्मा गांधी जिन्होंने खाली बैठने के स्थान पर मनुष्य को सीख दी की वह आपना काम स्वयं करें व दूसरों के काम में भी मदद हो सके तो करें। वह व उनके कार्य जिन्होंने नौकरों को भी अपने भाई के समान माना और उन्हें स्नेह व प्रेम दिया। इस पाठ के माध्यम से लेखिका जहाँ काम को छोटा-बड़ा नहीं मानने की सीख देती हैं, वहीं दूसरी ओर वह गाँधी जी के माध्यम से यह सीख भी देती है की नौकरों को सम्मान व प्रेम दें। उनके अनुसार हमारे द्वारा दिया गया स्नेह व प्रेम भी उन्हें अच्छा इंसान व विश्वासपात्र बना सकता है।
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढ़ेरो शुभकामनाएँ!

  • -2
What are you looking for?