surdas ke pad ka pehle pad ka kavya saundarya

मित्र

सूरदास के पहले पद में अनुप्रास अंलकार, रूपक अलंकार तथा उपमा अलंकार की छटा देखते ही बनती है। ब्रजभाषा का सुंदर रूप है प्रस्तुत होता है। भाषा प्रवाहमय और माधुर्य गुण से ओतप्रोत है तथा ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया गया है। व्यंग्यात्मक का भाव है। गोपियों का प्रेम प्रदर्शित होता है।

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