Tell answer ofQ10

10. 'दुख का अधिकार' कहानी के शीर्षक के औचित्य पर प्रकाश डालिए। बुढ़िया को देख कर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई ?

मित्र 
हमारे एक मित्र ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं। 

इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।

@Tanishka धन्यवाद मित्र

  • 0
Please find this answer

  • 0
What are you looking for?