the bhav saundarya and shilp saundarya of this chapter
Hi,
कवि ने इस कविता के माध्यम से मनुष्य को यह सोचने पर मजबूर किया है की वह किस ओर जा रहा है। उसके अनुसार जीवन-विरोधी शक्तियाँ चारों ओर फैलती जा रही है। कवि की माँ उसे जिस दक्षिण दिशा को मौत की दिशा बताती है। उसे स्वयं यह नहीं पता की आज यह दिशा सर्वव्यापक है। लेखक ने इस तथ्य को बड़े ही सुन्दर ढ़ग से प्रस्तुत किया है। भाषा बहुत ही सीधी सरल व सुबोध है। यह कविता संवाद शैली में लिखी गई है। कविता की सरलता के कारण उसे आसानी से समझा जा सकता है। इसके अन्दर प्रश्नोत्तर शैली अपनाई गई है। व्यंग्य का सहारा लेकर अपनी बात को सबके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। कहीं-कहीं पर अनुप्रास अंलकार देखने को मिलता है।
आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ!