This question is of chapter second of sanchayan

प्रिय मित्र!
हम आपके पहले प्रश्न का उत्तर दे चुके हैं तथा दूसरे प्रश्न के लिए अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं। 

बचपन में खेले गए खेल सारी उम्र याद रहते हैं। लेखक की भी कुछ यादें हैं, जो उसे सारा जीवन गुदगुदाती रहती हैं। आज के बचपन और लेखक के बचपन में बहुत अंतर है साथ ही कुछ समानताएँ भी हैं जैसे -

विषमता –लेखक ने बचपन में नदियों में दोस्तों के साथ कूदना, मिट्टी में खेलना, कपड़े उतार कर सीधे पानी में कूद जाना, चोट लगने पर मिट्टी का प्रयोग करना, कीचड़ में लथ-पथ जैसे कार्य किए हैं, जो आज के बचपन में संभव नहीं हैं।

समानता – आज भी बचपन में नानी का लाड़-प्यार मिलता है, स्कूल में बचपन की खट्टी-मिट्ठी तकरारें, दोस्तों के साथ शैतानी करना, लड़ाई-झगड़ा जैसे कार्य आज भी बचपन में बच्चे करते हैं।
 

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