thongla ke pehle ke aakhri gav pahunchne par bhikmenge ke vesh me hone ke bavjood lekhk ko theherne ke liye uchit sthan mila jab ki doosri yaatra ke samay bhdr vesh bhi unhe uchit sthan nahi dila saka.kyun ?

क्योंकि उस समय वहाँ के लोग सरलतापूर्वक लोगों पर विश्वार कर लिया करते थे। इसके अतिरिक्त उनके साथ था। वहाँ के भिखमंगे इस तरह के नहीं होते थे कि उन पर विश्वास न किया जा सके। उन्हें लगा होगा कि वह यहाँ का ही निवासी है। दूसरी बार जब लेखक गया, तो उसे देखकर ज्ञात हो रहा था कि वह बाहर से आया हुआ है। लोग बाहरी लोगों पर सरलता से विश्वास नहीं करते हैं इसलिए उसे ठहरने के लिए उचित स्थान नहीं मिला।

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