Tibet ki kis vyavastha se lekhak atyant prabhavit tha

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लेखक को तिब्बत में बहुत सी दिक्कतें हुईं साथ ही कुछ बातें उनको अच्छी लगीं। लेखक को यह अच्छा लगा कि तिब्बत में जाति-पाँति को कोई नहीं मानता है। तिब्बत में छुआछूत जैसी प्रथा को कोई जानता ही नहीं है। वहाँ पर महिलाएँ न तो घूँघट करती हैं और न ही पर्दा करती हैं। लोग मिलनसार हैं और मदद करते हैं।

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