Topi shukla
10 अलग-अलग धर्म और जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होते। 'टोपी शुक्ला' पाठ के आलोक में प्रतिपादित कीजिए।
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
अलग-अलग धर्म ओर जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होती। यह कथन हमें टोपी शुक्ला और इफ़्फ़न की दादी के रिश्ते को देखने के बाद पता चलता है। दोनों एक अदृश्य डोर में बंधे थे। टोपी, इफ़्फ़न की दादी से इतना स्नेह करता, जैसे वह टोपी की अपनी दादी हो। टोपी चाहता था कि अपनी दादी से इफ़्फ़न की दादी को बदल ले । यही अपनापन है। यही वो डोर है, जो दिखती नहीं है मगर एक-दूसरे से जुडी होती है। इफ़्फ़न की दादी के मरने के बाद टोपी को उनका घर एकदम खाली-खाली सा लगा क्योंकि इफ़्फ़न के घर में अपनापन उसे इफ़्फ़न की दादी से ही मिला था।
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अलग-अलग धर्म ओर जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होती। यह कथन हमें टोपी शुक्ला और इफ़्फ़न की दादी के रिश्ते को देखने के बाद पता चलता है। दोनों एक अदृश्य डोर में बंधे थे। टोपी, इफ़्फ़न की दादी से इतना स्नेह करता, जैसे वह टोपी की अपनी दादी हो। टोपी चाहता था कि अपनी दादी से इफ़्फ़न की दादी को बदल ले । यही अपनापन है। यही वो डोर है, जो दिखती नहीं है मगर एक-दूसरे से जुडी होती है। इफ़्फ़न की दादी के मरने के बाद टोपी को उनका घर एकदम खाली-खाली सा लगा क्योंकि इफ़्फ़न के घर में अपनापन उसे इफ़्फ़न की दादी से ही मिला था।