Topi Shukla chapter

मित्र!
मित्रता को मजहब की दीवारों में कैद नहीं किया जा सकता। मित्रता  जाति तथा धर्म को नहीं देखती। जहाँ एक-दूसरे के प्रति प्रेम तथा स्नेह का भाव जागृत होता है वहाँ मित्रता उत्पन्न होती है। सच्चे मित्र एक-दूसरे के सुख-दुख में काम आते हैं। कहानी में टोपी तथा इफ़्फन की मित्रता इसी प्रकार की थी। 

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