Tulsidas ji ka sahitya parichay

तुलसीदास जी को संस्कृत, अवधी और ब्रज तीनों भाषाओं में समान अधिकार प्राप्त था। आरम्भ में इन्होंने रामचरितामानस की रचना संस्कृत में की थी। भगवान शंकर की प्रेरणा से इन्होंने जनभाषा अवधी में रामचरितमानस की रचना की। कहा जाता है भगवान शंकर और भगवान राम की इन पर अपार कृपा थी। तुलसीदास जी की रचनाएँ इस प्रकार है-रामललानहछू, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न, रामचरितमानस, सतसई, जानकी-मंगल, विनय-पत्रिका, पार्वती-मंगल, गीतावली, बरवै, रामायण, कृष्ण-गीतावली, कवितावली और दोहावली। रामचरितमानस इनकी सबसे महत्वपूर्ण रचना थी। अवधी में रामचरितमानस की रचना कर इन्होंने अवधी को जन-जन की भाषा बना दिया।

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