tum kab jaaoge Atithi path Mein lekhak Antariksh Yatri ke Prasang mein kya spasht karna chahta hai

प्रिय विद्यार्थी , 

' तुम कब जाओगे , अतिथि ' पाठ में लेखक अंतरिक्ष यात्रियों के माध्यम से यह कहने का प्रयास कर रहा है कि इतने दिन तो वे दोनों अंतरिक्ष यात्री भी चाँद पर नहीं रुके थे , जितने दिन तुम मेरे घर में रुके हुए हो । वे तो तब भी एक लंबी दूरी तय करके गए थे , और तुम तो इतनी छोटी दूरी तय करके आए हो । इस उद्धरण से लेखक ने उन अतिथियों पर व्यंग्य किया है , जो आने के बाद जाने का नाम नहीं लेते हैं । 

आभार । 

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