tumhari yah photo dekhte dekhte tumhare klesh ko apne bhitar mahsus karke ro padhta hu magar tumhari ankho ka ye tikha dard bhra vyankhy mujhe ekdam se rokh deta hai isse lekhag ka kya tatparya hai?

मित्र लेखक इस पंक्ति में प्रेमचंद के बारे में बता रहा है। प्रेमचंद साधारण कपड़े तथा फटे जूते पहन कर फोटो खिंचवाने के लिए आए हैं।लेखक को प्रेमचंद की इस दीन दशा पर बहुत दुख होता है और वह अपना दुख व्यक्त भी करना चाहता है। परंतु प्रेमचंद की आदर्शवादिता तथा उनका आत्मसम्मान लेखक को ऐसा करने से रोक देता है। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रेमचंद जीवन भर अपने आदर्शों पर चले। उन्होंने समाज की सामंतवादी सोच के आगे कभी झुकना नहीं सीखा। इसलिए वे अपने साधारण रूप में भी असाधारण प्रतीत होते हैं। 

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