Udahran sahit siddh kijiye ki bismillah khan riyaji or swadi dono the?
मित्र
बिस्मिल्लाह खाँ जितनी शिद्दत से शहनाई बजाने का रियाज किया करते थे, वे उतनी ही शिद्दत से कुलसुम की देसी घी वाली दुकान की कचौड़ी खाते थे। कुलसुुुुुुुुुम जब कलकलाते घी में कचौड़ी डालती थी, उस समय उससे उठनेे वाली छन्न की आवाज में उन्हें सारेेेेे आरोह-अवरोह दिख जाते थे। ऐसे कचौड़ी का स्वाद शायद ही किसी ने लिया होगा। इससे यह तय हो जाता है बिस्मिल्ला खाँ रियाज़ी और स्वादी दोनों रहे हैं।
बिस्मिल्लाह खाँ जितनी शिद्दत से शहनाई बजाने का रियाज किया करते थे, वे उतनी ही शिद्दत से कुलसुम की देसी घी वाली दुकान की कचौड़ी खाते थे। कुलसुुुुुुुुुम जब कलकलाते घी में कचौड़ी डालती थी, उस समय उससे उठनेे वाली छन्न की आवाज में उन्हें सारेेेेे आरोह-अवरोह दिख जाते थे। ऐसे कचौड़ी का स्वाद शायद ही किसी ने लिया होगा। इससे यह तय हो जाता है बिस्मिल्ला खाँ रियाज़ी और स्वादी दोनों रहे हैं।