Upsarg aur pratyay kya hai? vishtarpurvak smajhaiye


मित्र हम आपको उपसर्ग और प्रत्यय के विषय में अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं। आप इसका  प्रयोग भविष्य में भी कर सकते हैं।
उपसर्ग
:- उपसर्ग ऐसे शब्द हैं जिनका स्वतंत्र रुप में प्रयोग नहीं होता है क्योंकि अलग से इनका कोई विशेष महत्व नहीं होता है। ये मूल शब्द के शुरु में लगा कर शब्द में विशेषता लाते हैं; जैसे - + धर्म, अप + मान = अपमान

उपसर्ग हिंदी, संस्कृत, उर्दू के तत्सम शब्दों का प्रयोग होता है।

कुछ उदाहरण :-

उपसर्ग

अर्थ

शब्द रुप

नहीं, विपरीत, बिना

अखंड, अनाथ, अचल, अदृश्य

अन

नहीं, अभाव, विपरीत

अनेक, अनाचार, अनपढ़

अति

अधिक, ऊपर

अतिरिक्त, अत्यधिक, अत्याचार

अभि

तरफ, सामने, पास

अभिनेता, अभिनव, अभियोग

अनु

पीछे, समान

अनुगामी, अनुकरण, अनुकंपा, अनुशीलन

प्रति

ओर, सामने, विरुद्ध, प्रत्येक

प्रतिदिन, प्रतिकूल, प्रतिक्रिया, प्रतिशत, प्रतिवर्ष

स्व

अपना

स्वतंत्र, स्वछंद, स्वभाव, स्वराज्य

उप

समीप, छोटा

उपकरण, उपचार, उपभेद, उपदेश, उपसंहार

अधि

समीप, बड़ा, ऊपर

अधिकार, अधिपति, अधिकरण

प्र

अधिक, आगे, उपर

प्रगति, प्रयत्न, प्रवाह, प्रयोग, प्रतिष्ठा

वि

विशेष, उलटा

विरुद्ध, विवाद, विगत, विभिन्न, विख्यात, विचित्र

चिर

सदैव, बहुत

चिरकाल, चिरंतन, चिर्आयु

सम

बराबर

समकोण, समकालीन, समआयु, समालोचना, समतल

अप

बुरा, नीचा, हीन

अपव्यय, अपकीर्ति, अपमान, अपशब्द

कु

बुरा

कुरुप, कुमंत्रणा, कुकर्म, कुचाल

उत्

ऊँचा, श्रेष्ठ

उत्थान, उत्तम, उत्कर्ष, उत्पन्न

तक, पूर्ण

आगमन, आजीवन, आदान, आकर्षण

निर्

निषेध, रहित, बाहर

निर्वाह, निर्मूल, निद्वंद्ध, निर्दोष, निर्जीव

अच्छा

सादर, सपूत, सरस, सपरिवार, सफल

सम्

संयोग, पूर्णता, साथ

सम्मान, संपूर्ण, संयम, संकल्प, सम्मुख, संभावना

दुर्

बुरा, कठिन

दुराचार, दुर्लभ, दुर्गम, दुर्भाग्य

परि

आसपास चारों ओर, पूर्ण

परिचय, परिवर्तन, परिमाण, परिक्रमा, परिवेश

बे

बिना

बेजान, बेबस, बेगुनाह, बेईमान, बेचारा, बेरहम

निस:

बिना, रहित

निचेष्ठ, निसंदेह, निष्काम

सु

अच्छा, सरल

सुगम, सुयश, सुरक्षा, सुलभ

 
प्रत्यय-

ये भाषा के बहुत छोटे खंड है, जिनका अर्थ भी निकलता है ये मूल शब्द के अंत में जुड़ने पर नए शब्द बनाते हैं और शब्द में विशेषता लाते हैं;

जैसे -

लिख + आई = लिखाई

उपदेश + = उपदेशक

बंगाल + = बंगाली

प्रत्यय के प्रकार :- प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं -

(1) कृत प्रत्यय

(2) तद्धित प्रत्यय

(1) कृत प्रत्यय :- जो प्रत्यय धातुओं के अंत में जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं।

क्रिया शब्दों में लगने वाले प्रत्यय (कृत प्रत्यय) -

मूल शब्द

प्रत्यय

प्रत्यय युक्त शब्द

नकल

नकली

खोद

आई

खुदाई

तैयार

तैयारी

चल

आऊ

चलाऊ

पालन

हार

पालनहार

कतर

नी

कतरनी

लिख

आवट

लिखावट

उड़

आन

उड़ान

कृपा

आलु

कृपालु

घबरा

आहट

घबराहट

खेल

ना

खेलना

दे

देय

लेन

दार

लेनदार

भूल

अक्कड़

भूलक्कड़

तद्धित प्रत्यय :- जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर नए शब्द बनाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

मूल शब्द

प्रत्यय

प्रत्यय युक्त शब्द

दुख

दुखी

बच्चा

पन

बचपन

द्रव

इव

द्रवित

भारत

ईय

भारतीय

वास्तव

ईक

वास्तविक

अमर

ता

अमरता

पत्र

ईका

पत्रिका

प्रसन्न

ता

प्रसन्नता

चल

आऊ

चलाऊ

शक्ति

शाली

शक्तिशाली

ईश्वर

त्व

ईश्वरत्व

भाव

ना

भावना

स्वतंत्र

ता

स्वतंत्रता

घट

इया

घटिया

बुद्धि

मान

बुद्धधिमान

पंडित

आई

पंडिताई

बंढ़

आई

बढ़ाई

कोठा

री

कोठरी

अधिक

तर

अधिकतर

ग्रंथ

कार

ग्रंथकार

रंग

ईन

रंगीन

चाल

आक

चालाक

वर्ण

वर्णन

शिक्षा

शिक्षक

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