upsarg aur pratyay me anthar (points)

उपसर्ग :- उपसर्ग ऐसे शब्द हैं जिनका स्वतंत्र रुप में प्रयोग नहीं होता है क्योंकि अलग से इनका कोई विशेष महत्व नहीं होता है। ये मूल शब्द के शुरु में लगा कर शब्द में विशेषता लाते हैं ; जैसे - + धर्म , अप + मान = अपमान

प्रत्यय -ये भाषा के बहुत छोटे खंड है , जिनका अर्थ भी निकलता है ये मूल शब्द के अंत में जुड़ने पर नए शब्द बनाते हैं और शब्द में विशेषता लाते हैं ;

जैसे -

लिख + आई = लिखाई

उपदेश + = उपदेशक

बंगाल + = बंगाली

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UPSARG-- जो शब्दांश किसी शब्द से पहले लगकर सके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। PRATYAY--जो शब्दांश, अन्य शब्दों के आखिर में लगकर उनसे नए शब्दों का निर्माण करते हैं और शब्द के अर्थ को भी परिवर्तित कर देते हैं। वे शब्द प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे

धन के पीछे वान प्रत्यय लगकर धनवान बन जाता है।

अपमान में अप उपसर्ग है।

 

PRATYAY--
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क्रिया शब्दों में लगने वाले प्रत्यय ( कृत प्रत्यय ) -

मूल शब्द

प्रत्यय

प्रत्यय युक्त शब्द

नकल

नकली

खोद

आई

खुदाई

तैयार

तैयारी

चल

आऊ

चलाऊ

पालन

हार

पालनहार

कतर

नी

कतरनी

लिख

आवट

लिखावट

उड़

आन

उड़ान

कृपा

आलु

कृपालु

घबरा

आहट

घबराहट

खेल

ना

खेलना

दे

देय

लेन

दार

लेनदार

भूल

अक्कड़

भूलक्कड़

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उपसर्ग किसी शब्द के आगे लगकर उस शब्द का अर्थ बदल देते हैं। उपसर्ग लगाने का मुख्य कारण यह था की एक शब्द से नए शब्द का निर्माण किया जा सके। देखो कैसे-
'जय' शब्द है यदि हम इसके आगे 'परा' उपसर्ग लगाते हैं तो शब्द बनेगा 'पराजय'।
इस तरह 'परा' उपसर्ग ने जय शब्द का अर्थ प्रभावित कर एक नए शब्द का निर्माण कर डाला है।
 
यही नियम प्रत्यय में भी लागू होता है बस इसकी स्थिति उपसर्ग से विपरीत है। उपसर्ग शब्द के आगे लगते हैं और प्रत्यय शब्द के पीछे लगकर शब्द का अर्थ बदल देते हैं व नए शब्द का निर्माण करते हैं। देखो कैसे-
'पान' एक शब्द है जिससे पढ़कर हमें ज्ञात होता है कि यह एक पत्ता होता है, जिसमें विभिन्न सामग्री डालकर खाया जाता है। अब देखिए इस शब्द के पीछे 'वाला' प्रत्यय लगाया गया अब यह शब्द होगा 'पानवाला' यानी जो उस पान को बनाता है।
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उपसर्ग :- उपसर्ग ऐसे शब्द हैं जिनका स्वतंत्र रुप में प्रयोग नहीं होता है क्योंकि अलग से इनका कोई विशेष महत्व नहीं होता है। ये मूल शब्द के शुरु में लगा कर शब्द में विशेषता लाते हैं ; जैसे - + धर्म , अप + मान = अपमान

प्रत्यय -ये भाषा के बहुत छोटे खंड है , जिनका अर्थ भी निकलता है ये मूल शब्द के अंत में जुड़ने पर नए शब्द बनाते हैं और शब्द में विशेषता लाते हैं ;

जैसे -

लिख + आई = लिखाई

उपदेश + = उपदेशक

बंगाल + = बंगाली

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ishan muje upsarg bi chaiyye

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जो शब्दांश, अन्य शब्दों के आखिर में लगकर उनसे नए शब्दों का निर्माण करते हैं और शब्द के अर्थ को भी परिवर्तित कर देते हैं। वे शब्द प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- 'धन' के पीछे 'वान' प्रत्यय लगकर धनवान बन जाता है। इस तरह से एक नया शब्द बनता है और उसका अर्थ भी अलग हो जाता है।

अन्य उदाहरण देखिए-

१. मीठा + ई = मीठी

२. गरम + आहट = गरमाहट

३. ऊँचा + आई = ऊँचाई

४. दुकान + दार = दुकानदार

५. वास्तव + इक = वास्तविक

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