vaakya mein avyay ki jaroorat hoti hai

Hi Anju,
हाँ वाक्य में अव्यय की जरूरत होती है। अव्ययों का प्रयोग ही इसलिए होता है की वाक्यों में संज्ञा शब्दों या सर्वनाम शब्दों के साथ लगकर यह उनका संबध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बता सके। पर यह हर वाक्य में भी नहीं लगते; जैसे- खाना खा लो। इसमें कोई अव्यय नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की इनका कुछ महत्व नहीं, बिना इनके वाक्य अधूरा होता है; जैसे-
(1)  राम के पास मेरी किताब है।
(2)  धीरे-धीरे चला करो।
(4)  राम और लक्ष्मण दो भाई थे।
(5)  पिताजी कहा करते कि समय के साथ चला करो।
(6)  हे भगवान! रक्षा करो।
(7)  भीतर आओ।
 
ऊपर दिए वाक्यों में के पास, धीरे-धीरे, और, कि, के साथ, हे भगवान और भीतर आदि शब्द अव्यय हैं यदि ये सब नहीं होते तो कल्पना करो वाक्य की क्या स्थिति होती। नीचे वाक्यों को देखो-
(1)  राम मेरी किताब है।
(2)  चला करो।
(4)  राम लक्ष्मण दो भाई थे।
(5)  पिताजी कहा करते समय चला करो।
(6)  रक्षा करो।
(7)  आओ।
अब बिना अव्यय के इन वाक्यों को दुबारा देखो। इससे न तो वाक्य का भाव समझ आ रहा है और वाक्य भी अटपटा लग रहा है। अब आपको पता चल गया होगा की वाक्य में अव्यय का प्रयोग क्यों होता है या इसकी क्या जरूरत होती है।
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
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