vacchhya kya hai?? iske prakar kya hote hain?? How to distinguish between them??

Hi,
वाच्य :- क्रिया के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया के विधान का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं; जैसे -
 (i) लड़के गेंद से खेल रहे हैं।
इसी आधार पर वाच्य को तीन भागों में बाँटा गया है -
(1) कर्तृवाच्य, (2) कर्मवाच्य, (3) भाववाच्य
(1) कर्तृवाच्य, जिन वाक्यों में 'कर्ता' प्रधान होता है, वे कर्तृवाच्य होते हैं। इन वाक्यों में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्ता से होता है; जैसे -(i) हम बाज़ार जाएँगे।
• कर्तृवाच्य में सकर्मक तथा अकर्मक क्रिया दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है।
(2) कर्मवाच्य, जिन वाक्यों में 'कर्म' प्रधान होता है, वे कर्मवाच्य होते हैं। इन वाक्यों में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्म से होता है। कर्मवाच्य में क्रियाएँ कर्म के अनुसार होती हैं; जैसे -
(i)  हमसे बाज़ार नहीं जाया जाएगा।
• कर्मवाच्य में केवल सकर्मक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
(3) भाववाच्य, जिन वाक्यों में कर्ता तथा कर्म दोनों ही प्रमुख नहीं होते, परन्तु भाव प्रधान होता है, वे भाववाच्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में क्रिया में वचन तथा काल का प्रयोग भाव के अनुसार होता है; जैसे (i)  बच्चों के द्वारा जाया जा रहा है।
• भाववाच्य में कर्म नहीं होता है। इसमें अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।
मैं आशा करती हूँ कि आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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